Saturday, March 24, 2012

ओ मेरी जान....

हैरान हैं हम, हुए क्यूँ तुम गैरों से
कैसा है गम, बोलो ना तुम होठों से

ना तुम हो बेवफा, ना मैं भी हूँ
फिर भी हैं हम जुदा, मैं क्या कहूँ
ना जाने वक़्त की मर्ज़ी है क्या
क्यूँ है मिली ये दूरीयाँ
ओ मेरी जान, ओ मेरी जान
ओ मेरी जान, ओ मेरी जान

तेरे बिन जो दिन आया, काटे ना वो कट पाया
कमी तेरी खल सी जाती है
तेरे बिन जो शाम आई, बढ़ी दिल की तन्हाई
मेरी आँखें भर सी आती हैं
कुछ तुम मुझसे खफा, कुछ मैं भी हूँ
है क्या इसकी वजह, मैं क्या कहूँ
ना जाने वक़्त की मर्जी है क्या
क्यूँ हैं मिली ये दूरीयाँ
ओ मेरी जान, ओ मेरी जान
ओ मेरी जान, ओ मेरी जान

तुझे दिल से था चाहा, तू ही तो ना मिल पाया
ख़ुशी मुझको छल सी जाती है
मेरा तू था सरमाया, तुझे पाके ना पाया
यही बातें चुभ सी जाती हैं
तनहा तेरी तरह हाँ मैं भी हूँ
दोनों हैं ग़मज़दा, मैं क्या कहूँ
ना जाने वक़्त की मर्ज़ी है क्या
क्यूँ है मिली ये दूरीयाँ
ओ मेरी जान, ओ मेरी जान
ओ मेरी जान, ओ मेरी जान


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